Justice Yashwant Varma News: इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के चेयरमैन अनिल तिवारी ने साफ किया है कि जस्टिस यशवंत वर्मा को लेकर यहां के वकीलों का विरोध पहले की तरह ही जारी रहेगा.
UP News: दिल्ली हाईकोर्ट के जज यशवंत वर्मा को लेकर छिड़ा हुआ विवाद कम होने का नाम नहीं ले रहा है. इस बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने यह साफ कर दिया है कि यशवंत वर्मा को लेकर वह अपने स्टैंड पर कायम है और फैसले से पीछे नहीं हटा है.
बार एसोसिएशन के चेयरमैन अनिल तिवारी ने साफ कर दिया है कि सोमवार को होने वाले जनरल हाउस में जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग लाने की सिफारिश का प्रस्ताव पारित किया जाएगा और साथ ही उनके खिलाफ ईडी व सीबीआई से जांच कराए जाने और रिपोर्ट आने तक उन्हें न्यायिक कार्यों से अलग रखने की मांग भी प्रमुखता से की जाएगी.
इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के चेयरमैन अनिल तिवारी ने साफ किया है कि जस्टिस यशवंत वर्मा को लेकर यहां के वकीलों का विरोध पहले की तरह ही जारी रहेगा. सोमवार 24 मार्च को होने वाले जनरल हाउस में प्रस्ताव पारित कर राजनीतिक दलों और सांसदों से इस बात की सिफारिश की जाएगी कि वह जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग लाने का काम करें.
उनके मुताबिक न्यायपालिका में सर्वोच्च पद पर बैठे व्यक्ति पर गंभीर आरोप लगना और कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू होना ही बेहद अहम बात है. अकेले वकील ही नहीं बल्कि देश की जनता भी यह चाहती है कि भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप वाले व्यक्ति को न्याय देने के काम से अलग रखा जाए. उनका कहना है कि जनरल हाउस की बैठक के लिए तमाम वकीलों ने इस बात का प्रस्ताव दिया है कि इसमें जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग लाने की सिफारिश राजनीतिक दलों और सांसदों से की जाए. उनके मुताबिक हाईकोर्ट बार एसोसिएशन को इस बात की पूरी उम्मीद है कि महाभियोग की सिफारिश को सांसद और पार्टियां जरूर अमल में लाएंगी.
हाईकोर्ट के वकीलों की मांग को नजर अंदाज न किया जाए
इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी का साफ तौर पर कहना है कि 24 मार्च को होने वाले जनरल हाउस में इस बात का भी प्रस्ताव पारित किया जा सकता है कि अगर जस्टिस यशवंत वर्मा को लेकर हाईकोर्ट के वकीलों की मांग को नजर अंदाज किया गया तो वह लोग न्यायिक कार्य का बहिष्कार कर हड़ताल पर जाने तक का फैसला ले सकते हैं.
जस्टिस यशवंत वर्मा के मामले में इंटरनल जांच ही काफी नहीं
उन्होंने फिर दोहराया है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट कोई कचरे का डब्बा या डस्टबिन नहीं है कि उसमें भ्रष्टाचार के आरोपियों को भेजकर उनसे न्याय देने की अपेक्षा की जाए. अध्यक्ष अनिल तिवारी समेत बार एसोसिएशन के दूसरे पदाधिकारियों का कहना है कि जस्टिस यशवंत वर्मा के मामले में सिर्फ इंटरनल जांच ही काफी नहीं है. इस मामले की जांच ईडी और सीबीआई से भी कराई जानी चाहिए. निष्पक्ष जांच से ही यह साफ हो सकेगा कि उन पर लगे आरोपों में कितनी सच्चाई है.
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