Delhi Politics: पूर्व मंत्री सत्येन्द्र जैन पर सीसीटीवी कैमरे लगाने के मामले में 7 करोड़ रुपये रिश्वत लेने का आरोप है. इस वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि अब मामले एफआईआर दर्ज होने से उम्मीद है.
Virendra Sachdeva On Satyendra Kumar Jain: दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने एक महत्वपूर्ण बयान में कहा है कि पूर्व मंत्री सत्येन्द्र जैन पर चल रहे सीसीटीवी लगाने के मामले में एसीबी ने 2023 में BEL से 7 करोड़ रुपये रिश्वत मामले की जांच पूरी कर ली थी. हालांकि, केजरीवाल सरकार की लीपापोती के कारण एफआईआर दर्ज नहीं हो पा रही थी. अब एफआईआर दर्ज होने से उम्मीद जताई जा रही है कि सीसीटीवी लगाने से जुड़े और भी घोटाले उजागर होंगे.
इस बयान में सचदेवा ने बताया कि यह मामला सिर्फ शुरुआत है. उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार ने 2017-18 में एक निजी कम्पनी BEL को दिल्ली में सीसीटीवी लगाने का ठेका दिया था, जिसका कुल मूल्य 571 करोड़ रुपये बताया जा रहा है. इस ठेके में देरी के चलते कंपनी पर 16 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था, जिसे कुछ ही दिनों में पूर्व मंत्री सत्येन्द्र जैन ने 7 करोड़ रुपये लेकर माफ कर दिया था.
यह मामला पहले से ही कई विभागीय सूत्रों के द्वारा उजागर किया जा चुका था. दिल्ली बीजेपी के तत्कालीन अध्यक्ष मनोज तिवारी ने भी इस मामले की शिकायत दर्ज कराई थी. कई लोगों का मानना है कि इस तरह के ठेकों में अनियमितताएं और रिश्वत की घोटाले आम हैं, जिन्हें दबाया जा रहा था.
सीसीटीवी कैमरे लगाने के मामले में सरकार द्वारा किए जा रहे काम पर सवाल उठते रहे हैं. कई बार यह भी सामने आया है कि सुरक्षा के लिए लगाए जाने वाले उपकरणों और निगरानी के साधनों में भी भ्रष्टाचार के मामलों में फंस जाते हैं. सार्वजनिक स्थानों पर लगे सीसीटीवी कैमरों का उद्देश्य सुरक्षा बढ़ाना होता है, लेकिन अगर इसके ठेकों में अनियमितताएँ हो तो आम जनता का भरोसा उठ जाता है.
सचदेवा ने कहा है कि अब जब एफआईआर दर्ज होने की संभावना बन रही है, तो इससे न केवल इस रिश्वत मामले के सबूत सामने आएंगे, बल्कि भविष्य में ऐसे और मामलों की भी जांच तेज गति से की जाएगी. उन्होंने कहा, “हम उम्मीद करते हैं कि सीसीटीवी लगाने के और भी घोटाले अब खुलेंगे.”
यह बयान जनता के बीच काफी चर्चा का विषय बन गया है. दिल्ली में सुरक्षा से जुड़े मुद्दे हमेशा से ही चिंता का विषय रहे हैं. भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने के लिए जांच एजेंसियों की सक्रिय भूमिका और पारदर्शिता आवश्यक है. ऐसे मामलों से न केवल सरकारी प्रतिष्ठा पर आंच आती है, बल्कि आम जनता का भी विश्वास कमजोर होता है. दिल्ली के लोगों की मांग है कि सभी ठेकों में पारदर्शिता लाई जाए और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में ऐसे घोटालों से बचा जा सके.
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