Delhi High Court Issued Notice To Lg Vk Saxena On Medha Patkar Petition Ann

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Medha Patkar News: मेधा पाटकर ने एलजी सक्सेना के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया था. पाटकर ने एक नए गवाह की जांच की अनुमति मांगी, जिसे ट्रायल कोर्ट ने खारिज कर दिया.

Delhi High Court: दिल्ली हाई कोर्ट ने उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना को नोटिस जारी किया है. यह नोटिस सामाजिक कार्यकर्ता और नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर की याचिका पर जारी किया गया है, जिसमें उन्होंने 2000 में दर्ज अपने मानहानि मामले में एक नए गवाह की जांच की अनुमति मांगी थी.

ट्रायल कोर्ट ने नई गवाह की मांग को ठुकराया, दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती

यह मामला तब शुरू हुआ था जब मेधा पाटकर ने एलजी सक्सेना पर आरोप लगाया कि उन्होंने गुजरात में एक एनजीओ के प्रमुख रहते हुए उनके खिलाफ कथित रूप से मानहानि से जुड़ा एक विज्ञापन प्रकाशित करवाया था. ट्रायल कोर्ट ने 18 मार्च को मेधापाटकर की नई गवाह की जांच की मांग को खारिज कर दिया था, यह कहते हुए कि मामला 24 साल से लंबित है और पहले ही सभी गवाहों की जांच पूरी हो चुकी है. कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि मुकदमों में इस तरह नए गवाहों को जोड़ा जाता रहेगा, तो मुकदमे कभी खत्म नहीं होंगे. पाटकर ने इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी जिसके बाद हाईकोर्ट ने दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

उपराज्यपाल के वकील का आरोप -न्याय प्रक्रिया में देरी की साजिश

मेधा पाटकर ने साकेत कोर्ट में 17 फरवरी को एक अर्जी दायर कर नंदिता नारायण को एक अतिरिक्त गवाह के रूप में जांचने की अनुमति मांगी थी. उनका कहना था कि यह गवाह मामले से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों को उजागर कर सकती हैं. हालांकि सक्सेना के वकील ने इसका विरोध करते हुए कहा कि यह याचिका 24 साल बाद केवल मुकदमे की प्रक्रिया को लंबा खींचने के लिए दायर की गई है, जो न्याय में बाधा डालने के समान है.

साल 2000 से जारी कानूनी लड़ाई

यह कानूनी लड़ाई 2000 में शुरू हुई थी जब पाटकर ने सक्सेना के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया था. उस समय सक्सेना अहमदाबाद स्थित एनजीओ काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज के प्रमुख थे. इसके जवाब में 2001 में एल जी वी के सक्सेना ने भी मेधा पाटकर के खिलाफ दो मानहानि के मामले दायर किए. पहला मामला एक टेलीविजन चैनल पर उनके खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणी करने को लेकर और दूसरा मामला एक मानहानिकारक प्रेस बयान जारी करने को लेकर था.

दिल्ली हाई कोर्ट में अगली सुनवाई 20 मई को

दिल्ली हाईकोर्ट ने फिलहाल ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर कोई रोक नहीं लगाई है और अगली सुनवाई 20 मई को तय की है. अब यह देखना होगा कि हाईकोर्ट इस मामले में आगे क्या फैसला सुनाती है.

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