अरब-इस्लामिक मंत्रिस्तरीय समिति ने इजराइली हमलों की निंदा करते हुए इजराइल पर दबाव बनाने की नीति बनाई है.
लगभग दो महीने तक चले सीजफायर को तोड़कर इजराइल ने एक बार फिर से गाजा पर हमला शुरू कर दिया है. इस हमले में अब तक 900 से भी ज्यादा फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं और इसकी निंदा अब पूरी दुनिया कर रही है. इतना ही नहीं इजराइल सरकार ने गाजा से फिलिस्तीनियों को बेदखल करने के लिए एक एजेंसी के स्थापना की घोषणा भी की है, जिसके बाद अरब वर्ल्ड में गुस्से की लहर पैदा हो गई है.
दरअसल इजराइल के इन हरकतो से तंग आकर मुस्लिम वर्ल्ड लीग (MWL) ने एक बयान जारी किया है. इस बयान में उन्होंने गाजा से फिलिस्तीनियों को विस्थापित करने के इजरायल के मंशा का विरोध करते हुए इजराइली सरकार के ऐलान की कड़ी आलोचना की है. इसके साथ ही MWL ने वेस्ट बैंक में 13 अवैध बस्तियों को अलग करने के फैसले की भी निंदा की और इस तरह की हरकर तो अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन बताया है.
मुस्लिम लीग ने बयान में क्या कहा
सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म एक्स पर मुस्लिम वर्ल्ड लीग ने एक बयान साझा किया है जिसमें लिखा गया है कि महामहिम शेख डॉ. मोहम्मद बिन अब्दुलकरीम अल-इस्सा, MWL के महासचिव और मुस्लिम विद्वानों के संगठन के अध्यक्ष इन कामों की निंदा करते हैं और यो अंतरराष्ट्रीय और मानवीय कानूनों का बर्बर उल्लंघन है.'
उसी पोस्ट में इस बार पर जोर दिया कि इस तरह के कदम जानबूझकर शांतिपूर्ण समाधान की सभी संभावनाओं को कमजोर कर रहे हैं और एक न्यायपूर्ण और स्थिर शांति पाने की कोशिशों में रुकावट डाल रहे हैं, जो जो क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित करता है.
Statement from the #MuslimWorldLeague: pic.twitter.com/IaYTu0Vrtm
— Muslim World League (@MWLOrg_en) March 25, 2025
इजराइल पर दवाब बनाने की कोशिश
अरब-इस्लामिक मंत्रिस्तरीय समिति ने इजराइल पर दबाव बनाने की योजना बनाई है. काहिरा में यूरोपीय संघ के विदेश नीति प्रमुख काजा कलस के साथ हुई बैठक के बाद, इस समिति ने गाजा पट्टी में युद्ध विराम टूटने पर चिंता जताई और इजराइली हमलों की आलोचना की.
क्या है मुस्लिम वर्ल्ड लीग
मुस्लिम वर्ल्ड लीग (MWL) एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जो मुस्लिम देशों और समुदायों के बीच एकता और सहयोग बढ़ाने के लिए काम करता है. इसका मुख्य उद्देश्य इस्लामिक मूल्यों को फैलाना, मुस्लिमों के अधिकारों की रक्षा करना और विभिन्न देशों में शांति और सामंजस्य बनाए रखना है. यह संगठन 1962 में सऊदी अरब के मक्का में स्थापित हुआ था और इसके सदस्य देशों में दुनियाभर के कई इस्लामिक देश शामिल हैं.
0 Comments