मायावती अब बीएसपी के संस्थापक कांशीराम के फार्मूले पर लौट आई हैं. सालों बाद आज उन्होंने पार्टी के ओबीसी नेताओं की बैठक बुलाई. साथ ही पार्टी के अंदर भाईचारा कमेटी बनाने में जुटी हैं.
लखनऊ:मायावती (Mayawati) एक बार फिर से अपने गुरु की शरण में हैं, जिन्होंने उन्हें अपना राजनैतिक उत्तराधिकारी बनाया और बीएसपी की कमान मायावती को सौंप दी. उसके बाद मायावती ने कई तरह के प्रयोग पार्टी में किए. कई बार सफल भी रहीं, लेकिन पिछले कई चुनावों में उन्हें बस नाकामयाबी ही मिल रही है. बीजेपी और कांग्रेस के बाद एक जमाने में बीएसपी ही देश की तीसरी सबसे बड़ी राजनैतिक ताकत थी. हालांकि अब वही पार्टी अपने वजूद की लड़ाई लड़ रही है. बीएसपी अपने गढ़ यूपी में भी हाशिए पर आ गई है.
मायावती की पार्टी बीएसपी ही नहीं उनका अपना परिवार भी भंवर में फंसा है. भतीजे आकाश आनंद को वे अपना उत्तराधिकारी बना कर राजनीति में लाई थीं. अब वही आकाश बीएसपी से बाहर हैं. मायावती को अब भतीजे आकाश के चेहरे से भी चिढ़ है. उनके छोटे भाई आनंद कुमार हर सुख दुख में मायावती के साथ रहे, लेकिन अब वही आनंद कुमार मायावती की नजरों में नाकाबिल हो गए हैं. एक तरह से मायावती ने अपने परिवार को पार्टी से अलग कर दिया है. परिवार से परेशान मायावती ने एलान कर दिया है कि उनके लिए पार्टी ही मिशन है.
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