क्या कनाडा संग सुधरेंगे भारत के रिश्ते? ट्रूडो की विदाई के बाद MEA ने कही बड़ी बात

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MEA On India-Canada Relations: जस्टिन ट्रूडो के प्रधानमंत्री रहते भारत और कनाडा के रिश्तों में कड़वाहट देखने को मिली. वहीं अब देश में सत्ता परिवर्तन हो चुका है.

India-Canada Relations: खालिस्तान के मुद्दे को लेकर पिछले कुछ सालों से भारत और कनाडा के बीच रिश्तों में खटास देखने को मिली है. मामले पर भारत ने शुक्रवार (21 मार्च, 2025) को कहा कि उसके द्विपक्षीय संबंधों में गिरावट देश में चरमपंथी और अलगाववादियों को लाइसेंस दिए जाने की वजह से आई है. 

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, "भारत-कनाडा संबंधों में गिरावट का कारण देश में चरमपंथी और अलगाववादी तत्वों को दी गई छूट है. हमारी उम्मीद है कि हम आपसी विश्वास और संवेदनशीलता के आधार पर अपने संबंधों को फिर से बना सकेंगे." विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता की ये टिप्पणी कनाडा प्रशासन में परिवर्तन के बीच आई है, जहां जस्टिन ट्रूडो की जगह मार्क कार्नी प्रधानमंत्री बन गए हैं. उन्होंने 15 मार्च, 2025 को प्रधानमंत्री पद की शपथ ली. 

पीएम बनने से पहले मार्क कार्नी ने क्या कहा था?

कनाडा पीएम कार्नी ने शपथ ग्रहण से पहले कहा था, "कनाडा समान विचारधारा वाले देशों के साथ अपने व्यापारिक संबंधों में विविधता लाना चाहता है और भारत के साथ रिश्तों को फिर से सुधारने के मौके हैं. वाणिज्यिक संबंध के इर्द-गिर्द मूल्यों की साझा भावना होनी चाहिए और अगर मैं प्रधानमंत्री हूं तो मैं इसे बनाने के मौके का इंतजार करूंगा."

हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद बिगड़े रिश्ते

भारत और कनाडा के बीच संबंध तब खराब हो गए जब 2023 में जस्टिन ट्रूडो ने ब्रिटिश कोलंबिया में खालिस्तानी समर्थक आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय सरकारी एजेंटों की भूमिका का आरोप लगाया. भारत ने लगातार आरोपों का खंडन किया है. विदेश मंत्रालय ने कहा है कि कनाडा ने भारत और भारतीय राजनयिकों के खिलाफ लगाए गए गंभीर आरोपों पर कोई सबूत नहीं दिया है. 

विवाद के बाद दोनों देशों ने एक दूसरे के खिलाफ जवाबी कार्रवाई की और अपने-अपने राजनयिकों को वापस बुला लिया. विदेश मंत्रालय ने पिछले साल दिसंबर में कहा था, "इस लापरवाह रवैये के चलते भारत-कनाडा संबंधों को जो नुकसान पहुंचा है, उसकी जिम्मेदारी अकेले प्रधानमंत्री ट्रूडो की है."

वहीं, ट्रूडो ने ये स्वीकार किया था कि जब उन्होंने निज्जर की हत्या में भारतीय सरकारी एजेंटों के शामिल होने का आरोप लगाया था, तब उनके पास केवल खुफिया जानकारी थी और कोई ठोस सबूत नहीं थे.

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