Once Millions Of Hindus In Afghanistan Know How Many Are Left After The Arrival Of The Taliban Government

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Hindu-Sikh Population in Afghanistan: तालिबान का शासन आने के बाद अल्पसंख्यकों के हालात अच्छे नहीं है. लगातार यहां पर अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है.

Hindu-Sikh Population in Afghanistan: आज से 3000 साल से भी पहले सिंधु घाटी सभ्यता के समय जो जमीन कभी हिंदुओं और फिर सिखों का घर हुआ करती थी, आज वहां 99.7% से ज़्यादा मुस्लिम आबादी है और एक कट्टर आतंकी संगठन तालिबान की हुकूमत चल रही है. यह बात अफगानिस्तान की है, जहां तालिबान की सत्ता में आने के बाद से ही हिंदू और सिख जैसे अल्पसंख्यक समुदायों को निशाना बनाया गया है. यही वजह है कि वहां इन अल्पसंख्यकों की संख्या लगातार कम होती जा रही है.

अफगानिस्तान कभी ऐसा देश था जहां अलग-अलग भाषाएं, धर्म, संस्कृतियां और जातियां मिल-जुलकर रहती थीं. यह देश अपनी विविधता और आपसी भाईचारे के लिए जाना जाता था. लेकिन जब से तालिबान आया और देश में लगातार लड़ाई और गृहयुद्ध चलता रहा, तब से यह सब धीरे-धीरे खत्म हो गया. 

लगातार कम हो रही है हिंदू और सिखों की जनसंख्या

अफगानिस्तान में हिंदू और सिख लोगों की आबादी बहुत कम हो गई है. 1970 के समय वहां करीब 7 लाख हिंदू और सिख रहते थे, लेकिन 1980 के दशक में इनकी संख्या घटकर सिर्फ 2 से 3 लाख रह गई. TOLO न्यूज़ की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले 30 सालों में लगभग 99% हिंदू और सिख अफगानिस्तान छोड़कर जा चुके हैं. जब 1990 के दशक में मुजाहिदीन सत्ता में आए और युद्ध चल रहा था, तब इनकी संख्या सिर्फ 15,000 रह गई थी. तालिबान के समय में भी यही हालत बनी रही. अब माना जाता है कि अफगानिस्तान में केवल करीब 1,350 हिंदू और सिख ही बचे हैं.

बचा है सिर्फ एक हिंदू मंदिर

रिपोर्ट्स के मुताबिक, अफगानिस्तान में अब सिर्फ 2 से 4 गुरुद्वारे और एक ही हिंदू मंदिर बचा है. पहले ये धार्मिक स्थल हिंदू और सिख समुदाय के लिए एक सुरक्षित जगह माने जाते थे. लेकिन अब हालात इतने खराब हो गए हैं कि इन मंदिरों और गुरुद्वारों को लोग सिर्फ पूजा की जगह नहीं बल्कि रहने की जगह भी बना चुके हैं. डर की वजह से हिंदू और सिख अब घर से बाहर निकलने से कतराते हैं इसलिए वे इन धार्मिक स्थानों में ही रह रहे हैं.

इन पवित्र जगहों पर हमलों के बाद अफगान हिंदू और सिख हर पल अपनी जान को लेकर डरे रहते हैं. 2018 में जलालाबाद में एक आत्मघाती हमलावर ने उस भीड़ पर हमला किया जो राष्ट्रपति अशरफ गनी से मिलने जा रही थी. इस हमले में 19 लोगों की मौत हो गई और 10 लोग घायल हो गए, जिनमें कई हिंदू और सिख समुदाय के नेता भी शामिल थे.

मार्च 2020 में, काबुल के एक सिख मंदिर पर करीब 6 घंटे तक हमला चला, जिसमें 25 लोगों की मौत हो गई और 8 घायल हो गए.ये हमले दुनिया भर में चर्चा का विषय बने और अफगान हिंदू-सिखों के लिए सब्र का बांध तोड़ने वाले साबित हुए. इसके बाद बड़ी संख्या में लोग देश छोड़कर जाने लगे.

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