India Sri Lanka Relations: पीएम मोदी ने अपनी मॉरीशस यात्रा के दौरान महासागर पॉलिसी की घोषणा की थी. पीएम मोदी चार बार श्रीलंका जा चुके हैं और इस बार उन्होंने श्रीलंका में तीन दिन बिताए.
India Sri Lanka Relations: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस महीने की शुरुआत में (6 अप्रैल, 2025) तीन दिवसीय श्रीलंका यात्रा पर गए थे. इस दौरान भारत और श्रीलंका के बीच रक्षा मामलों को लेकर कई समझौते हुए. इन समझौते की वजह से राष्ट्रपति अनुरा कुमार दिसानायके के घरेलू आलोचक इसे एक राजनीतिक मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहे हैं.
शायद यह संयोग नहीं था एमओयू पर हस्ताक्षर होने से ठीक 54 साल और 1 दिन पहले (5 अप्रैल, 1971) को दिसानायके की राजनीतिक पार्टी जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) ने मातृभूमि या मृत्यु के नारे के साथ भारतीय विस्तार के खिलाफ श्रीलंका का पहला सशस्त्र विद्रोह शुरू किया था. जेवीपी मार्क्सवादी-लेनिनवादी के विचारों पर चलने वाली राजनीतिक पार्टी है. ये पार्टी 1987-89 के दौरान कोलंबो में तत्कालीन सरकार के खिलाफ एक और सशस्त्र विद्रोह में शामिल थी.
साल 2000 में पहली बार श्रीलंकाई संसद पहुंचे दिसानायके
जेवीपी के प्रतिनिधि के रूप में दिसानायके ने 2000 में पहली बार श्रीलंकाई संसद में प्रवेश किया. वह पिछले 20 वर्षों से संसद में पार्टी की मुख्य आवाज रहे हैं. 2019 में दिसानायके ने नेशनल पीपुल्स पावर (एनपीपी) नाम का एक गठबंधन बनाया, जिसमें जेवीपी प्रमुख घटक के रूप में और बीस अन्य राजनीतिक दल, ट्रेड यूनियन और सामाजिक समूह शामिल थे.
पिछले साल एनपीपी नेता के रूप में दिसानायके श्रीलंका के राष्ट्रपति चुने गए. एसएलएफपी और यूएनपी के बाद तीसरे दल के नेता के रूप में चुनाव जीतने वाले पहले व्यक्ति बन गए. हालांकि जब 6 अप्रैल को कोलंबो में सचिवालय के भीतर रक्षा मामले को लेकर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जा रहे थे तो पास के फोर्ट रेलवे स्टेशन के बाहर पेराटुगामी फ्रंट नाम का जेवीपी से अलग हुआ एक गुट भारतीय विस्तार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहा था.
श्रीलंका चीन के लिए इसलिए है महत्वपूर्ण
ये समझौता ऐसे वक्त में हुआ है जब चीन भी श्रीलंका में अपना विस्तार करने की योजना बना रहा है. श्रीलंका चीन के लिए इसलिए भी बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि वो अपनी स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स रणनीति के तहत हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) पर अपना दबदबा बनाना चाहता है, जो भारत के लिए चिंता का विषय है. श्रीलंका द्वारा चीन को 99 वर्षों के लिए हंबनटोटा बंदरगाह को पट्टे पर देना इसी रणनीति का हिस्सा है.
भारत ने अपनाई 'महासागर' पॉलिसी
कोलंबो के प्रति नई दिल्ली की रणनीति पीएम मोदी के दृष्टिकोण (महासागर) क्षेत्रों में सुरक्षा और विकास के लिए पारस्परिक और समग्र उन्नति को जाहिर करती है, जिसकी घोषणा उन्होंने 12 मार्च को मॉरीशस में की थी. महासागर दृष्टिकोण सागर (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) नीति पर आधारित है, जिसकी घोषणा पीएम मोदी ने पहली बार 2015 में मॉरीशस की अपनी यात्रा के दौरान की थी.
पीएम मोदी श्रीलंका की 4 बार यात्रा कर चुके हैं
पीएम मोदी ने कहा था कि हमने इस पूरे क्षेत्र की स्थिरता और समृद्धि के लिए सागर दुष्टिकोण को अपनाया है. आज इसे आगे बढ़ाते हुए मैं कहना चाहूंगा कि वैश्विक दक्षिण के लिए हमारा दृष्टिकोण सागर से आगे बढ़कर महासागर होगा, जिसका अर्थ है क्षेत्रों में सुरक्षा और विकास के लिए पारस्परिक और समग्र उन्नति. उन्होंने बताया कि नया दृष्टिकोण विकास के लिए व्यापार, सतत विकास के लिए क्षमता निर्माण और साझा भविष्य के लिए पारस्परिक सुरक्षा पर जोर देगा. ये महत्वपूर्ण है कि पीएम मोदी की ये चौथी श्रीलंका यात्रा थी और इस बार उन्होंने श्रीलंका में तीन दिन बिताए.
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