Tahawwur Rana Extradited In India Know Full Story Of Tahawwur Rana A Doctor Turned Terrorist

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Tahawwur Rana Extradition: पाकिस्तानी सेना का पूर्व डॉक्टर तहव्वुर राणा, बचपन की दोस्ती और कट्टरपंथी विचारधारा के चलते इंसान से हैवान बनकर 2008 के मुंबई हमलों का साजिशकर्ता बन गया.

Tahawwur Rana Extradition To India: साल 2008 के मुंबई हमलों में 166 निर्दोष लोगों की जान गई थी और इसके साजिशकर्ता तहव्वुर राणा को अमेरिका से प्रत्यर्पित कर भारत लाया जाचुका है. एक वक्त था जब तहव्वुर हुसैन राणा पाकिस्तानी सेना में डॉक्टर था. उस वक्त शायद ही किसी ने सोचा होगा कि लोगों की जान बचाने वाला ये शख्स आने वाले सालों में जान लेने के वाला खूंखार आतंकी बन जाएगा. 

सालों की कानूनी लड़ाई के बाद आखिरकार अमेरिका से उसका प्रत्यर्पण हो चुका है और वह भारत में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की गिरफ्त में है. हालांकि सवाल ये है कि एक पढ़ा-लिखा, प्रोफेशनल इंसान आखिर कैसे आतंकियों का एजेंट बन गया? तहव्वुर राणा की जिंदगी की परतें खोलें तो कहानी हैरान कर देती है.

पाकिस्तान में जन्म, सेना में सेवा और फिर पश्चिम की ओर रुख

तहव्वुर हुसैन राणा का जन्म पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के साहीवाल जिले में हुआ था, वहां से उसने मेडिकल की पढ़ाई की और पाकिस्तानी सेना की मेडिकल कोर में भर्ती हो गया. एक डॉक्टर के रूप में उसकी पहचान एक जिम्मेदार और शिक्षित व्यक्ति की थी, लेकिन साल 1990 के दशक के आखिर में उसने सेना को अलविदा कहा और कनाडा की राह पकड़ ली.  

कनाडा में नागरिकता पाने के बाद उसने इमिग्रेशन सर्विस का बिजनेस शुरू किया, जिसका नाम रखा गया 'फर्स्ट वर्ल्ड इमिग्रेशन सर्विसेज'. फिर वह अमेरिका पहुंचा और शिकागो में अपना दफ्तर खोल लिया. बाहर से एक सफल प्रवासी उद्यमी दिखने वाला राणा, अंदर से एक साजिश रच रहा था.

बचपन की दोस्ती जो बनी तबाही की नींव

तहव्वुर राणा की ज़िंदगी में एक और अहम किरदार था डेविड कोलमैन हेडली, उर्फ दाऊद गिलानी. दोनों बचपन से ही अच्छे दोस्त थे. पाकिस्तान में एक ही स्कूल में पढ़े थे और वहीं से एक-दूसरे के बेहद करीब आ गए, लेकिन यह दोस्ती धीरे-धीरे एक अंतरराष्ट्रीय साजिश का आधार बन गई.

हेडली बाद में अमेरिकी नागरिक बन गया, लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकवादी संगठन से जुड़ा हुआ था और तहव्वुर राणा बना उसका 'फैसिलिटेटर'. एक ऐसा सहयोगी, जिसने हेडली को भारत का वीजा दिलवाया, सफर का इंतजाम किया और उसकी आतंक से जुड़ी गतिविधियों में मदद की.

मुंबई हमलों में क्या थी राणा की भूमिका?

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के मुताबिक तहव्वुर राणा न केवल हेडली के भारत आने-जाने का इंतजाम करता था, बल्कि उसे भारत में लक्ष्यों की रेकी करने के लिए समर्थन भी देता था. बताया गया है कि मुंबई के चबाड हाउस, नेशनल डिफेंस कॉलेज और कई अन्य संवेदनशील ठिकानों पर हमलों की योजना में राणा की सक्रिय भूमिका रही. इन गतिविधियों के पीछे मकसद सिर्फ एक था, भारत में खून की होली खेलना और दहशत फैलाना. राणा का इमिग्रेशन बिजनेस, दरअसल आतंक की आढ़ बन गया था.

अब भारत में होगा गुनाहों का हिसाब

2009 में भारत में तहव्वुर राणा के खिलाफ केस दर्ज किया गया था. इसके बाद अमेरिका में उसकी गिरफ्तारी हुई, लेकिन भारत को उसका प्रत्यर्पण मिलने में 15 साल लग गए. गुरुवार को वह एक विशेष विमान से दिल्ली लाया गया, जहां NIA ने उसे अपनी हिरासत में लिया. अब उस पर भारतीय कानून के तहत मुकदमा चलेगा और न्याय की प्रक्रिया अपना काम करेगी.

कैसे एक डॉक्टर बना आतंक का सौदागर

तहव्वुर राणा की कहानी एक गहरी चेतावनी है कि आतंकवाद का चेहरा सिर्फ जंगलों में छिपे बंदूकधारी नहीं होते, बल्कि वो लोग भी हो सकते हैं जो सूट-बूट में कॉरपोरेट दफ्तरों में नजर आते हैं. एक डॉक्टर, एक उद्यमी, एक प्रवासी जब गलत विचारधारा और बचपन की दोस्ती की गलत दिशा में बह जाता है तो वह इंसान से हैवान बन सकता है. भारत के लिए ये सिर्फ एक आरोपी की गिरफ्तारी नहीं, बल्कि न्याय और सच्चाई के लिए एक बड़ी जीत है. 

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