Tahawwur Rana Handed Over To India With Shackles On His Feet And Chains Around His Waist Photo His Extradition Surfaced

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Tahawwur Rana Extradition: अमेरिका ने 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के एक अहम आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा को भारत को सौंप दिया है.

Tahawwur Rana Extradition: मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा आखिरकार अमेरिका से भारत लाया जा चुका है, लेकिन जिस तरह उसकी तस्वीर सामने आई है, उसने सबका ध्यान खींच लिया है. प्रत्यर्पण की तस्वीर में राणा के पैरों में बेड़ियां, कमर में जंजीर बंधी हुई दिखाई दे रही है. इसके साथ ही अमेरिकी मार्शल प्रत्यर्पण की प्रक्रिया को पूरा करते हुए नजर आ रहे हैं, वहीं  राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के अधिकारी भी वहां मौजूद हैं. 

ये तस्वीर केवल एक आतंकी के ट्रांसफर का नहीं, बल्कि भारत की उस लंबी कानूनी और कूटनीतिक लड़ाई का नतीजा है जो सालों से जारी है. अमेरिका ने बुधवार को कड़ी सुरक्षा के बीच राणा को भारत को सौंपा. 

सालों से राणा के प्रत्यर्पण की मांग

भारत सालों से राणा के प्रत्यर्पण की मांग कर रहा था. राणा ने इसे रोकने के लिए अमेरिका की हर अदालत का दरवाजा खटखटाया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट तक से उसे राहत नहीं मिली. 9 अप्रैल को अमेरिकी मार्शल्स ने लॉस एंजेलिस एयरपोर्ट पर उसे भारत के हवाले किया.

राणा को भारत में 10 आपराधिक मामलों में मुकदमे का सामना करना होगा

ताहव्वुर हुसैन राणा पर 26/11 मुंबई हमलों में शामिल होने का आरोप है, जिनमें 160 से ज्यादा लोग मारे गए थे. इनमें 6 अमेरिकी नागरिक भी शामिल थे. राणा को भारत में 10 आपराधिक मामलों में मुकदमे का सामना करना होगा.

पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक ताहव्वुर राणा पर हत्या, साजिश, आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने और फर्जी दस्तावेज तैयार करने जैसे गंभीर आरोप लगे हैं. भारत का आरोप है कि राणा ने अपने बचपन के दोस्त और अमेरिका के नागरिक डेविड कोलमैन हेडली की मदद की, जिससे वह मुंबई जाकर हमला करने के लिए रेकी कर सका.

हेडली ने पाकिस्तान में लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के आतंकवादियों से प्रशिक्षण लिया था और वह भारत में संभावित हमलों की योजना बना रहा था. राणा ने कथित तौर पर हेडली को अपने इमिग्रेशन बिजनेस के मुंबई ऑफिस का मैनेजर नियुक्त किया, जबकि हेडली को इस फील्ड का कोई अनुभव नहीं था. इसके अलावा, राणा ने झूठे दस्तावेजों और वीजा आवेदन में भी हेडली की मदद की थी.

राणा को हमले का नहीं कोई पछतावा 

भारत सरकार का कहना है कि राणा को हमलों के बाद भी कोई पछतावा नहीं था. उसने हेडली से कहा कि 'भारतीयों को यही मिलना चाहिए था' और मारे गए 9 आतंकियों को पाकिस्तान का सबसे बड़ा वीरता पुरस्कार 'निशान-ए-हैदर' देने की बात भी कही थी.

यह पहली बार नहीं है जब राणा पर आतंकवाद से जुड़े मामलों में कार्रवाई हुई है. 2013 में अमेरिका की एक अदालत ने राणा को 14 साल की जेल की सजा सुनाई थी, जब वह डेनमार्क में एक अखबार पर हमला करने की साजिश में दोषी पाया गया था. उसी केस में डेविड हेडली ने भी 12 आतंकवादी मामलों में दोष कबूल किया था और उसे 35 साल की सजा मिली थी.

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