Waqf Amendment Law: सभी याचिकाओं में मुख्य रूप से यही कहा गया है कि यह मुसलमानों के साथ भेदभाव करने वाला कानून है. वक्फ एक धार्मिक संस्था है. उसके कामकाज में सरकारी दखल गलत है.
Waqf Amendment Law In Supreme Court: वक्फ संशोधन कानून को लेकर दाखिल याचिकाओं की सुनवाई की तारीख और बेंच तय हो गई है. 16 अप्रैल को चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली 3 जजों की बेंच मामले पर सुनवाई करेगी. बेंच के बाकी 2 सदस्य हैं - जस्टिस संजय कुमार और के वी विश्वनाथन. मामला सुनवाई की सूची में 13वें नंबर पर लगा है. कुल 10 याचिकाएं लिस्ट में हैं, उनमें सबसे पहले एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी की याचिका है.
वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ अब तक लगभग 20 याचिकाएं दाखिल हो चुकी हैं. याचिका दाखिल करने वालों में कांग्रेस, आरजेडी, सपा, डीएमके, एआईएमआईएम और आप जैसी राजनीतिक पार्टियों के नेताओं के अलावा जमीयत उलेमा ए हिंद के अध्यक्ष अरशद मदनी और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड शामिल हैं. सभी याचिकाओं में मुख्य रूप से यही कहा गया है कि यह मुसलमानों के साथ भेदभाव करने वाला कानून है. वक्फ एक धार्मिक संस्था है. उसके कामकाज में सरकारी दखल गलत है.
याचिकाओं में मौलिक अधिकारों के उल्लंघन की बात
याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि नया वक्फ कानून संविधान के अनुच्छेद 14, 15 (समानता), 25 (धार्मिक स्वतंत्रता) 26 (धार्मिक मामलों की व्यवस्था) और 29 (अल्पसंख्यक अधिकार) जैसे मौलिक अधिकारों के विरुद्ध है. याचिकाकर्ताओं ने कानून में बदलाव को अनुच्छेद 300A यानी संपत्ति के अधिकार के भी खिलाफ बताया है.
केंद्र सरकार ने भी दाखिल की है कैविएट
ध्यान रहे कि केंद्र सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल की है. केंद्र ने किसी भी आदेश से पहले अपना पक्ष सुने जाने की मांग की है. चूंकि वक्फ संशोधन कानून का विरोध करने वाली याचिकाओं में कानून पर रोक लगाने की भी मांग की गई है. ऐसे में सरकार ने यह सुनिश्चित करने की कोशिश की है कि बिना उसका पक्ष सुने कोर्ट कोई एकतरफा आदेश न दे. इसके अलावा कानून के समर्थन में भी कुछ याचिकाएं दाखिल हुए हैं. इन याचिकाओं में नए कानून को संविधान के हिसाब से सही और न्यायसंगत बताया गया है.
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